भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दिल उनसे प्यार के नाते तो कोई दूर न था / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह= सौ गुलाब खिले / गुलाब खं…)
 
 
पंक्ति 19: पंक्ति 19:
 
कहीं वे साथ निभाते तो कोई दूर न था  
 
कहीं वे साथ निभाते तो कोई दूर न था  
  
'गुलाब' सब यहाँ लगते हैं दूर-दूर मगर
+
'गुलाब' सब यहाँ लगते थे दूर-दूर मगर
 
चले जो मौज में गाते तो कोई दूर न था   
 
चले जो मौज में गाते तो कोई दूर न था   
 
<poem>
 
<poem>

01:23, 23 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


दिल उनसे प्यार के नाते तो कोई दूर न था
अगर वे दिल से बुलाते तो कोई दूर न था
 
ये माना हमने, झुका सर न उनके चरणों तक
जो वे भी आँख उठाते तो कोई दूर न था

बहुत ही गहरे में मिलता है प्यार का मोती
हम और डूबते जाते तो कोई दूर न था

नहीं था खेल ये माना कि चाँद को छूना
कहीं वे साथ निभाते तो कोई दूर न था

'गुलाब' सब यहाँ लगते थे दूर-दूर मगर
चले जो मौज में गाते तो कोई दूर न था