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+ | लेकिन मै भी ख्वाब नहीं हु, ख्वाब तो वह है, जिसे कोई देख रहा हो, मै तो एक गीता हु, एक बाइबिल हु किसे इतनी फुर्सत हा, मुझे उठाकर जो यह देखे की आखिर मुझमे लिखा क्या है. |
15:38, 26 जनवरी 2012 के समय का अवतरण
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शीर्षक
रही मासूम राजा की रचना
मै भी कोई ख्वाब नहीं हु ख्वाब तो वह है, जिसे कोई देख रहा हो. मै एक गीता हु, एक एंजिल हु, एक कुरान हु. किसे भला इनती फुर्सत है, मुझे, जो यह देखे की आखिर मुझमे लिखा क्या है.
- -डॉ. रही मासूम राजा की रचना
डा. रही मासूम राजा
लेकिन मै भी ख्वाब नहीं हु, ख्वाब तो वह है, जिसे कोई देख रहा हो, मै तो एक गीता हु, एक बाइबिल हु किसे इतनी फुर्सत हा, मुझे उठाकर जो यह देखे की आखिर मुझमे लिखा क्या है.