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*प्रो० डा० [[सत्यभूषण वर्मा]] ने हिन्दी साहित्य संसार को सबसे पहले हाइकु से परिचित कराया तथा अन्तर्देशीय पत्र प्रकाशित कर हाइकु को चर्चित किया।
* वर्तमान में संसार भर में फैले हिंदुस्तानियों की इन्टरनेट पर फैली रचनाओं के माध्यम से यह विधा हिन्दुस्तानी कविता जगत में ही नही वरन् विभिन्न देशों में हिन्दी काव्य -जगत् में प्रमुखता से अपना स्थान बना रही है।
*कुछ लोग इस विधा की तुलना हिन्दी काव्य विधा [[त्रिवेणी]] से करते हैं। हाइकु और [[त्रिवेणी]] में केवल इतनी समानता है कि दोनों में मात्र तीन पंक्तियां होती है इन तीन पक्तियों की साम्यता के अतिरिक्त अधिक इन दोनो विधाओं में अन्य कोई साम्य नहीं है। हाइकु के अनुरूप [[त्रिवेणी]] भी तीन पंक्तियों वाली कविता है, यह माना जाता है कि [[त्रिवेणी]] विधा को [[गुलज़ार]] साहब ने विकसित किया। [[त्रिवेणी / गुलज़ार| त्रिवेणी]] की रचना का मूल प्रेरणा स्रोत भी जापनी काव्य ही कहा जाता है।
==इस विधा का काब्य अनुशासन==
कुछ लोग इस विधा की तुलना हिन्दी काव्य विधा [[त्रिवेणी]] से करते हैं। हाइकु और [[त्रिवेणी]] में केवल इतनी समानता है कि दोनों में मात्र तीन पंक्तियां होती है इन तीन पक्तियों की साम्यता के अतिरिक्त अधिक इन दोनो विधाओं में अन्य कोई साम्य नहीं है। हाइकु के अनुरूप [[त्रिवेणी]] भी तीन पंक्तियों वाली कविता है, यह माना जाता है कि [[त्रिवेणी]] विधा को [[गुलज़ार]] साहब ने विकसित किया। [[त्रिवेणी / गुलज़ार| त्रिवेणी]] की रचना का मूल प्रेरणा स्रोत भी जापनी काव्य ही कहा जाता है।
इस जापानी विधा को हिन्दी काब्य जगत के अनुशासन से परिचित कराते हुये डॉ0 [[जगदीश व्योम]] ने बताया है:-
* हाइकु सत्रह (17) वर्णों में लिखी जाने वाली सबसे छोटी कविता है। इसमें तीन पंक्तियाँ रहती हैं। प्रथम पंक्ति में 5 वर्ण दूसरी में 7 और तीसरी में 5 वर्ण रहते हैं।
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