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"दीवारें / रति सक्सेना" के अवतरणों में अंतर
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17:42, 29 अगस्त 2013 के समय का अवतरण
तुम आए
एक दीवार बन
तमाम खतरों का
सामना करने के लिये
धूप चमकी
मैं घिर गई दीवारों से
तुम उड़ गये कभी के
भाप बन
खतरे दीवारों के भीतर आ गये