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चहयि होटल मा जलपानु करउ की- | चहयि होटल मा जलपानु करउ की- |
09:02, 25 सितम्बर 2013 का अवतरण
चहयि होटल मा जलपानु करउ की-
अचारु विचारु की पोथी पढ़उ।
व्यभिचारी रहउ सदाचारी बनउ चहयि-
साँच्यन ग्वाड़न मूड़ धरउ।
चहे राजा भलयि, रय्यति हे चहयि-
जायि जहाजन म्याड़ चढ़उ।
मुलउ द्यास जवार की बातन मा-
घर ते तुम दादा न पाछे कढ़उ।
तुम हॉथन ग्वाड़न ते मजबूत यी-
चारि पनेथी कि बासी करउ।
को सगा हयि सही सउत्यालि हयि-
को तनि भाई भले पहिचानउ तउ।
कीहि की अमरउती रही जग मा चहयि-
आजु जरउ चहयि काल्हि मरउ।
कटि जाउ न द्यास की बातन मा तउ-
अकारथ का युहु जामा धरउ।
शब्दार्थ :
द्यास = देश।
जवार = आस-पास का इलाका।