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"कॉफी हाउस की शाम / शशि सहगल" के अवतरणों में अंतर

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11:17, 16 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

कॉफी हाउस
आज भी वही शाम
चेहरे, वेटर हैं वही।
अनधुले कप
जिन्हें
गीले कपड़े से पोंछ
बेयरा चमका लाया है।
पर अपनी घुटन को
मैं
कैसे पोंछूँ, साफ करूँ
किससे रगड़ूँ
क्षण को तो चमक जाय
या फिर टूट जाये
हमेशा के लिए ही
एक कप की तरह।