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तरसै गीतां नै कंठ | तरसै गीतां नै कंठ | ||
रांचै पाठकां नै | रांचै पाठकां नै | ||
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वेलै माईतां सारू | वेलै माईतां सारू | ||
टाबर | टाबर | ||
अर बेटा सारू | अर बेटा सारू | ||
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संभाळौ, सभाळौ, | संभाळौ, सभाळौ, | ||
अर सभाळौ | अर सभाळौ | ||
नींतर व्हैला | नींतर व्हैला | ||
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11:09, 17 अक्टूबर 2013 का अवतरण
बीसवै सईकै रै सेड़ै
कठै पूगग्या हां म्हे ?
नानी-दादी नै झुरै
दिन-रात
कांई गीत
अर
कांई बात!
तरसै गीतां नै कंठ
रांचै पाठकां नै
कविता अर सबद।
वेलै माईतां सारू
टाबर
अर बेटा सारू
तात।
संभाळौ, सभाळौ,
अर सभाळौ
नींतर व्हैला
आपघात।