भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कादम्बरी / पृष्ठ 86 / दामोदर झा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दामोदर झा |अनुवादक= |संग्रह=कादम्...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
11:06, 30 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण
50.
ओकरासँ कय गप्प अपन मन रंजन कयलनि
कादम्बरी वियोगे व्यथित हृदय बहलओलनि।
चहु दिशि पहरादार मध्यमे सब जन सुतला
सुमिरन कय कादम्बरीक ई जगले रहला॥
51.
भोरे उठि बुढ़बा धार्मिकके निकट बजओलनि
ओकर मनोरथसँ कुमार बेसी धन देलनि।
सकल शरीरक कृत्य समापि बिदा भय गेले
वनसँ बाहर भय जनपद केर मारग लेले॥
52.
अयला राजकुमार, कतहु कतहु मग वास कय।
उज्जयिनी दरबार, देखि उतरला नृप भवन॥