भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ईसुरी की फाग-5 / बुन्देली" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(New page: {{KKGlobal}} {{ KKLokRachna |रचनाकार=ईसुरी }} दिल की राम हमारी जानें मित्र झूठ न मानें हम ...) |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
− | {{ | + | {{KKLokRachna |
− | KKLokRachna | + | |रचनाकार=अज्ञात |
− | |रचनाकार= | + | }} |
+ | {{KKLokGeetBhaashaSoochi | ||
+ | |भाषा=बुन्देली | ||
}} | }} | ||
− | |||
− | |||
दिल की राम हमारी जानें | दिल की राम हमारी जानें |
18:25, 13 जुलाई 2008 के समय का अवतरण
♦ रचनाकार: अज्ञात
भारत के लोकगीत
- अंगिका लोकगीत
- अवधी लोकगीत
- कन्नौजी लोकगीत
- कश्मीरी लोकगीत
- कोरकू लोकगीत
- कुमाँऊनी लोकगीत
- खड़ी बोली लोकगीत
- गढ़वाली लोकगीत
- गुजराती लोकगीत
- गोंड लोकगीत
- छत्तीसगढ़ी लोकगीत
- निमाड़ी लोकगीत
- पंजाबी लोकगीत
- पँवारी लोकगीत
- बघेली लोकगीत
- बाँगरू लोकगीत
- बांग्ला लोकगीत
- बुन्देली लोकगीत
- बैगा लोकगीत
- ब्रजभाषा लोकगीत
- भदावरी लोकगीत
- भील लोकगीत
- भोजपुरी लोकगीत
- मगही लोकगीत
- मराठी लोकगीत
- माड़िया लोकगीत
- मालवी लोकगीत
- मैथिली लोकगीत
- राजस्थानी लोकगीत
- संथाली लोकगीत
- संस्कृत लोकगीत
- हरियाणवी लोकगीत
- हिन्दी लोकगीत
- हिमाचली लोकगीत
दिल की राम हमारी जानें
मित्र झूठ न मानें
हम तुम लाल बतात जात ते, आज रात बर्रानें
सा परतीत आज भई बातें, सपनेन काए दिखानें ?
ना हो, हो, देख लेत हैं, फूले नईं समानें
भौत दिनन से मोरो ईसुर तुमें लगौ दिल चानें
भावार्थ
हमारे मन की बात तो राम ही जानते हैं । मित्र, हमारी बात को झूठ न समझें । आज रात को ही हमने यह सपना
देखा है कि हम उनसे बात कर रहे हैं । तब हमें यह अन्दाज़ हुआ कि सपना हमने क्यों देखा ? हम उन्हें यहाँ-वहाँ
किसी न किसी तरह देख कर ख़ुश होते रहते हैं न, इसलिए अब वे हमें सपने में भी दिखाई देने लगी हैं । अरे ईसुरी,
मेरा दिल उन्हें बहुत दिनों से चाहता है ।