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"सिर और पाँव / हरिऔध" के अवतरणों में अंतर
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वे नहीं हैं मान के भूखे निरे। | वे नहीं हैं मान के भूखे निरे। | ||
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है न तन के बीच अंगों की कमी। | है न तन के बीच अंगों की कमी। | ||
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पर गिरे जब पाँव पर तब सिर गिरे। | पर गिरे जब पाँव पर तब सिर गिरे। | ||
लोग पर के सामने नवते मिले। | लोग पर के सामने नवते मिले। | ||
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पर न ये कब निज सगों से, जी फिरे। | पर न ये कब निज सगों से, जी फिरे। | ||
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दूसरों के पाँव पर गिरते रहे। | दूसरों के पाँव पर गिरते रहे। | ||
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पर भला निज पाँव पर कब सिर गिरे। | पर भला निज पाँव पर कब सिर गिरे। | ||
तोड़ सोने को न लोहा बढ़ सका। | तोड़ सोने को न लोहा बढ़ सका। | ||
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मोल सोने का गया टूटे न गिर। | मोल सोने का गया टूटे न गिर। | ||
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पाँव ने सिर को अगर दीें ठोकरें। | पाँव ने सिर को अगर दीें ठोकरें। | ||
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तो हुआ ऊँचा न वह, नीचा न सिर। | तो हुआ ऊँचा न वह, नीचा न सिर। | ||
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01:02, 19 मार्च 2014 के समय का अवतरण
जो बड़े हैं भार जिन पर है बहुत।
वे नहीं हैं मान के भूखे निरे।
है न तन के बीच अंगों की कमी।
पर गिरे जब पाँव पर तब सिर गिरे।
लोग पर के सामने नवते मिले।
पर न ये कब निज सगों से, जी फिरे।
दूसरों के पाँव पर गिरते रहे।
पर भला निज पाँव पर कब सिर गिरे।
तोड़ सोने को न लोहा बढ़ सका।
मोल सोने का गया टूटे न गिर।
पाँव ने सिर को अगर दीें ठोकरें।
तो हुआ ऊँचा न वह, नीचा न सिर।