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"डर / मनमोहन" के अवतरणों में अंतर

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17:30, 15 अक्टूबर 2014 के समय का अवतरण

कभी अपने आप से
हम डर जाते हैं
जब अपनी ही ताक़त
देख लेते हैं

तब लग़ता है
हमें सज़ा मिलेगी
हम रटी हुई बोली में
जल्दी-जल्दी दुहराते है
कोई पाठ

और सर्वव्यापी पिता की शीतल छाया में
आकर खड़े हो जाते हैं