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"वह गीत सुनाना है! / राधेश्याम ‘प्रवासी’" के अवतरणों में अंतर

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19:51, 14 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण

जिसके स्वर, अम्बर पर
युग-युग तक गूँजते रहें,
यह गीत सुनाना है!

जिसकी लय, बने मलय
प्यार भरा वह मानवता का,
स्रोत बहाना है।

जन-जन में, तन-तन में
देश प्रेम, सोये अतीत का,
शौर्य जगाना है।

हृदय मिले, कमल खिलें,
पाहन उर कर द्रवित उठें,
यह दर्द उठाना है!

उन्मन मन, यह जीवन
जहाँ शान्ति पा जाय,
यही निर्माण बनाना है!