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"लकीरें / अरविन्द कुमार खेड़े" के अवतरणों में अंतर

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17:10, 26 दिसम्बर 2014 के समय का अवतरण

तुम्हारे चेहरे पर
जो लकीरें बनी
मेरी हथेलियों में
उभर आई है
इसलिए मैंने देखा नहीं
तुम्हारा चेहरा कभी