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"मैया महक रहे तोरे बाग मदिरवा गर के / बुन्देली" के अवतरणों में अंतर

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12:40, 27 जनवरी 2015 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

मैया महक रहे तोरे बाग, मंदिरवा एंगर के।
चम्पा चमेली केतकी फूली,
मैया फूल रही कचनार। मंदिरवा...
फूले गुलाब चांदनी बेला,
केवरा की है बहार। मंदिरवा...
कमल कुमुदनी मोंगरा फूलो,
फूल रहे गुलदाख। मंदिरवा...
दिन के राजा रात की रानी,
फूलन की भरमार। मंदिरवा...
भांति-भांति के फूल खिले हैं,
बरने कौन प्रकार। मंदिरवा...
उन फूलन के बने हैं गजरे,
देवी को होत शृंगार। मंदिरवा...