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बघेली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
मोतिया का बिरझै दुलेरूआ आजी हीरा मोती लेबइ हो
आजा उनके धई झिकझोरइ आजी हृरदइ लगाबई हो
आवा ललन मोरी कनिया मैं हीरा मोती देइहौं हो
मोतिया का बिरझे दुलेरूआ माया हीरा मोती लेबइ हो
बाबू उनके धई झिकझोरइ माया हृरदइ लगावई हो
आवा ललन मोरी कनिया तौ हीरा मोती देबई हो
मोतिया का बिरझे दुलेरूआ आजी हीरा मोती लेबई हो
काका उनके धई झिकझोरइ माया हृरदइ लगावई हो
आवा ललन मोरी कनिया तो हीरा मोती देबइ हो।