भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कोन राय को बिछुआ / पँवारी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=पँवारी |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
13:44, 20 मार्च 2015 के समय का अवतरण
पँवारी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
कोन राय को बिछुआ
कोका डाण्डा मऽ जाय रे
आग लगी बाग दरीयाव सी
मऽरोऽ नान्हो सा।।
मऽराऽ भैया को बिछवा
लाल बिछवा
बहिन का डाण्डा मऽ जाय
मऽरोऽ नान्हो सा।।
बहिनऽ ख चाबी पेंदड़ मऽ
डेहर डेहर हिण्डरायी
मऽरो नान्हो सा।।