भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अटकी पीरे पटवारे सैं / ईसुरी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=बुन्देली |रचनाकार=ईसुरी |संग्रह= }} {{KKC...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
16:29, 1 अप्रैल 2015 के समय का अवतरण
बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
अटकी पीरे पटवारे सैं।
प्रीत पिया प्यारे सैं।
निसदिन रात दरस की आसा,
लगी पौर व्दारे सैं।
कैसे, प्रीत बड़े भय छूटैं,
संग खेली बारे सैं।
विसरत नई भोत बिसराई,
बसीं दृगन तारे सैं।
ईसुर कात मिलैं मन मोहन,
पूरव तन गारे सैं।