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बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
गोरी कठिन होत है कारे,
भरे हैं मद मतवारे।
कारे रंग के काट खात जब
जिहर न जात उतारे।
काम के बान कामनिन खाँ भये,
कारे नन्द दुलारे।
पटियँन जात उनारे।
ककरेजी खौं पैर ‘ईसुरी’,
खकल करेजे डारे।