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"उदना रेख करम में खाँची / ईसुरी" के अवतरणों में अंतर
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बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
उदना रेख करम में खाँची।
होन हार सो साँची।
जैसी लिखी भाग में भाबई
आन अगारूॅ नाँची।
पक्की मौत होत पाँवँन की
उबै गिनो ना काँची।
राखी बात आपविघ हाँतन
आन बदे मैं बाँची
साजी बुरई ईसुरी चर्चा
सिनसारी में माँची।