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बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
तुमनें मोह टोर दऔ सँइँयाँ,
खबर हमारी नँइँ याँ।
कोंचन में हो निपकन लागीं
चुरियँन छोड़ी बहियाँ।
सूकी देह छिपुरिया हो रई
हो गए प्रान चलैयाँ।
जो पापिन ना सूकीं अंखियाँ
झर झर देत तलैयाँ।
उनें मिलादो हमें ईसुरी
लाग लाग के पैंयाँ।