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"दिल रहौ दाबनी में बसकें / ईसुरी" के अवतरणों में अंतर

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17:32, 1 अप्रैल 2015 के समय का अवतरण

दिल रहौ दाबनी में बसकें,
मों फेरों इतखाँ तुम हँसकें।
झँझरीदार खुली ज्यों पुतरी
पटियन बीच रई लसकें।
दोई भोंय दाब कें बैठी
कानन लों खेंचें कसकें।
ईसुर प्रान कौन के लेतीं?
राधा के माथै धसके।