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"नीकौ नई रजऊ मन लगवौ / ईसुरी" के अवतरणों में अंतर
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बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
नीकौ नई रजऊ मन लगवौ,
एइ सें करत हटकवौ।
मन लागौ लगजात जनम खाँ,
रौमंई रौंम कसकवौ।
सुनतीं, तुमे सऔ ना जै हैं,
सब - सब रातन जगवौ।
कछु दिनन में होत कछु मन
लगन लगत लै भगवौ।
ईसुर जे आसान नहीं है
प्रान पराये हरवौ।