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अल्लाह नाम वालो, सुन लो कथा हमारी,
मस्जिद के तुम हो बंदे, मंदिर के हम पुजारी।
हैं नाम उसके कितने, पर एक ही ख़ुदा है,
हज़रत हुसैन वो ही, वंशी थी जिसकी प्यारी।
वह करबला में आया, गोकुल में भी वही था,
गीता बनाई उसने, जिसकी अज़ां है जारी।
कुरआन है जो उसका, तो वेद भी उसी का,
‘प्रीतम’ न फ़र्क़ समझो, दुनिया उसी की सारी।
रचनाकाल: सन 1922