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12:24, 7 मई 2015 के समय का अवतरण
इस दुनिया में दो दिन गुजारा है अब;
नहीं यहाँ किसी का इजारा है अब।
तेरे तक अक़्ल को रसाई नहीं;
इसी जापै इंसान हारा है अब।
जो दुनिया में आवें तेरी याद में;
जो दुनिया से जावें तेरी याद में।
न निकलें ज़बाँ से कोई और बात;
हरेक हर्फ़ निकले तेरी याद में।
न भूले से आवे किसी का ख़याल;
जो हो दिल की ख़्वाहिश तेरी याद में।
न हर्गिज़ हो मुझसे कोई फैल-बद;
हो सब काम मेरे तेरी याद में।
अब है दिल की ये आरज़ू ऐ ख़ुदा!!
मेरी जान जावे तेरी याद में।