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<tr><td colspan=2><font size=4>रेखांकित रचनाकार</font></td></tr> | <tr><td colspan=2><font size=4>रेखांकित रचनाकार</font></td></tr> | ||
− | <tr><td valign=top>[[चित्र: | + | <tr><td valign=top>[[चित्र:Maithilisharangupt.jpg|50px|right]]</td> |
− | <td valign=top>[[ | + | <td valign=top>[[मैथिलीशरण गुप्त]] का जन्म 1885 ई. में हुआ था। गुप्त जी खड़ी बोली कविता के प्रथम महत्वपूर्ण कवि हैं| पवित्रता, नैतिकता और परंपरागत मानवीय सम्बंधों की रक्षा गुप्त जी के काव्य के प्रमुख गुण हैं। '''कुछ कृतियाँ:''' [[सैरन्ध्रीः खंडकाव्य / मैथिलीशरण गुप्त]] , [[साकेत / मैथिलीशरण गुप्त / प्रथम सर्ग / पृष्ठ १]]</td></td></tr> |
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− | <tr><td colspan=2><font size=4> | + | <tr><td colspan=2><font size=4>एक काव्य मोती</font></td></tr> |
− | <tr><td valign=top>[[चित्र: | + | <tr><td valign=top>[[चित्र:Pearl_2.jpg|left|50px]]</td> |
− | <td valign=top> | + | <td valign=top> |
+ | द्वार खरे प्रभु के छरिया तहँ, भूपति जान न पावत नेरे।<br> | ||
+ | पाँच सुपारि तै देखु बिचार कै, भेंट को चारि न चाउर मेरे॥ | ||
+ | -- [[सुदामा चरित / नरोत्तमदास]] --</tr> | ||
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06:36, 7 दिसम्बर 2006 का अवतरण
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