भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आबहुँ बूढ़ी रूढ़ी छठी-पूजन / मगही" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मगही |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= }} {{KKCatSohar}}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
22:28, 11 जून 2015 के समय का अवतरण
मगही लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
आबहुँ बूढ़ी रूढ़ी<ref>बड़ी बूढ़ियाँ</ref> वयठहुँ आय।
बबुआ के घोँटी<ref>घुट्टी</ref> देहु बतलाय॥1॥
बचा<ref>वचा नामक औषध</ref> महाउर<ref>महावरी, कुलंजन</ref> आउर<ref>और</ref> जायफर<ref>जायफल, जाफर</ref>।
सोने के सितुहा<ref>बड़ी जाति की सीपी</ref> रूपे<ref>चाँदी</ref> के काम।
जसोमती घोँटी देल चुचकार॥2॥
शब्दार्थ
<references/>