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मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

जीरा रगरि रगरि<ref>रगड़-रगड़</ref> हम पिसलूँ।
जीरा पीले बहू, जीरा पीले धनी॥1॥
पाग<ref>पगड़ी</ref> के पेंच<ref>लपेट</ref> में छानली हे।
जीरा पीले जरा, जीरा पीले जरा॥2॥
होअत बलकवा के दूध।
जीरा पीले जचा, जीरा पीले जचा॥3॥
हम बबा के अलरी दुलरी<ref>प्यारी-दुलारी</ref>।
हमरा न जीरा ओल्हाय,<ref>बरदास्त नहीं होता</ref> जीरा कइसे पीऊँ॥4॥

शब्दार्थ
<references/>