भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"गीत - 2 / मुकुटधर पांडेय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुकुटधर पांडेय |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem>...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

18:53, 16 जून 2015 के समय का अवतरण

वर्ष शेष, हे वर्ष शेष
आ सुना मुझे प्रभु का निदेश

नव वर्षोत्सव-रत लोक सर्व
स्वागत तब हो मम हृदय गर्व

ये खिले फूल वन में अपार
कुर वक, ‘किंशुक औ’ कचनार

करता हूँ चरणों में सारा
अर्पित यह पुष्पांजलि विशेष

वर्ष शेष, हे वर्ष शेष।

-सन् 1918