भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"शोक गान / रत्नेश कुमार" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रत्नेश कुमार |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

15:32, 2 जुलाई 2015 के समय का अवतरण

रात रोटी बनी
मेरी देह बोटी बनी
दफ़्तर की ओ.टी. बनी
गाँधी की लँगोटी बनी
मैं रात रोटी बनी
सुबह चिकोटी बनी
खाट से खोटी बनी
काम की गोटी बनी!