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"अप्प दीपो भवः / एन. मनोहर प्रसाद" के अवतरणों में अंतर

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दलित बुद्धिजीवी?
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बुद्ध ने आनन्द से कहा
हम उन्हें पहचान नहीं सकते
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'अप्प दीपो भव'—
न ही दे पाते उन्हें सम्मान
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आओ हम दलित सब
हम भोग रहे दासत्व
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स्वयं अपने लिए बनें मार्गदर्शक।
मुद्दतों से रहते आ रहे ग़ुलाम
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कि हम सब सत्ताधीशों से ही हैं डरते
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(रमणिका गुप्ता द्वारा अँग्रेज़ी से अनूदित)
और सम्मान भी उन्हीं का करते
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कि वैभव के तमाशे और नंगी सत्ता को ही
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हम पूजते— उनके ही आज्ञाकारी होते—
+
हम होते हैं प्रभावित
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तुच्छ आकांक्षाओं और रोटी के चन्द टुकड़ों से
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क्षुद्र उपहारों या कलदारों (पैसों)
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और चुटकी भर लाभों से!
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13:11, 4 जुलाई 2015 के समय का अवतरण

बुद्ध ने आनन्द से कहा
'अप्प दीपो भव'—
आओ हम दलित सब
स्वयं अपने लिए बनें मार्गदर्शक।

(रमणिका गुप्ता द्वारा अँग्रेज़ी से अनूदित)