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"बहुत मज़ा / दिविक रमेश" के अवतरणों में अंतर

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12:20, 9 जुलाई 2015 के समय का अवतरण

आओ बूंदों
आकर मेरी क्यारी में हल चलाओ
बहुत मज़ा आएगा।

बहुत मज़ा आएगा
जब छूते हुए फसलों को
निकल जाएगी हवा
इधर से उधर।

और फसलें
बिलकुल हम बच्चों सी
खिलखिलाकर
लोटपोट हो जाएंगी।