भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"किरण का सन्देश / श्रीनाथ सिंह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्रीनाथ सिंह |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

14:46, 13 जुलाई 2015 के समय का अवतरण

मेरे कमरे में सूरज की,
एक किरण नित आती है।
जिसको पाती पास उसी पर,
अपनी चमक चढ़ाती है।
बच्चे होते हैं उदास पर,
वह हरदम मुस्काती है।
चुपके से आखें चमका कर,
कानों में कह जाती है।
प्यारे बच्चे! मुझसा ही है,
चमकदार तेरा जीवन।
भारत माता सूरज सी है,
तू है उसकी एक किरण।