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"मिठाई का गीत / शेरजंग गर्ग" के अवतरणों में अंतर
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11:18, 14 जुलाई 2015 के समय का अवतरण
बनी जलेबी, बड़ी फरेबी
टेढ़ी-मेढ़ी तिरछी गोल,
नरम, गरम, रसभरी करारी
मुँह में देती मिसरी घोल।
बर्फ़ी है, जो बर्फ़ नहीं है
सर्दी में भी खा लें आप,
रसगुल्लों की ख़ूब सुनाई
यह आए तो सब कुछ फ्लॉप।