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मगही लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
बना सोया महाराज जगाये सखी।
तेरे सेहरे में लगी अनार की कली, हीरे लाल बड़ी॥1॥
तेरे जोड़े<ref>दुलहे के पहनने का कपड़ा, जिसका नीचे का भाग घाँघरेदार और ऊपर की काट बगलबंदी जैसी होती है</ref> में लागी अनार की कली, कचनार की कली।
बना सोया महाराज जगाये सखी॥2॥
तेरे बीड़े में लागी अनार की कली, कचनार की कली।
बना सोया महाराज जगाये सखी॥3॥
मेरे लाड़ो में लागी अनार की कली, हीरे लाल जड़ी।
बना सोया महाराज जगाये सखी॥4॥
शब्दार्थ
<references/>