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बाघ-बोनमे बौआयब हम
ककरा संग, लागल साँझ-परात
माया मुदा, व्याधि व्यथाकेँ
जब्बर-जब्बर खुट्टा चारू कात
क्रोध नहि रहल मोनमे बैसल
मातल छुट्टा साँढ़-
आब की तोड़ब पगहा, किएक
मारब बथानमे लात।
(मिथिला मिहिर: 8.11.64)