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"पति-पत्नी कथा / राजकमल चौधरी" के अवतरणों में अंतर
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स्त्री अपन सखा-सन्तान, भानस-बासन
सुख-सेहन्ता, पीठक
हरियर-पीयर दर्द, आ उधार-लहनाक
कथा
कहैत अछि,
कहैत रहि जाइत अछि भोरसँ साँझ धरि
बाड़ीक कोनटासँ
आङनक माँझ धरि
कहैत रहि जाइत अछि साँझ धरि
पुरुख ओहि स्त्री, आ ओहि स्त्रीक सखा-सन्तान
भानस-बासन, सुख-सेहन्ता पीठक
कथा
सुनैत अछि
सुनैत रहि जाइत अछि साँझसँ भोर धरि
ठोरक मन्द मन्द मुस्कीसँ
आँखिक नोर धरि
सुनैत रहि जाइत अछि भोर धरि
(सोना-माटि: वर्ष 1, अंक 1, फरवरी, 1969)