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"चांदनी की चादर / शकुंतला सिरोठिया" के अवतरणों में अंतर

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14:20, 17 सितम्बर 2015 के समय का अवतरण

चांदनी की चादर उढ़ाऊं तुझे मोहना,
सो जा मेरे लालना।
सूरज भी सो गया, पंछी भी सो गए,
डालो की गोदी में फूल सभी सो गए।
तू भी चुप हो जा, झुलाऊं तुझे पालना।
सो जा मेरे लालना।