भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"इंतजार! / असंगघोष" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=असंगघोष |अनुवादक= |संग्रह=समय को इ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
21:11, 13 अक्टूबर 2015 के समय का अवतरण
इंतजार में
इंतजार निहित था
इंतजार करो,
तूने कहा।
इंतजार मैं
करता रहा
तेरे इस
इंतजार का
कोई अन्त
अभी तक आया नहीं
अधिक इंतजार
अब मैं
नहीं करता
मेरे अपने जाग रहे
समुदाय के साथ
मैं जा रहा हूँ
अब तू करना
नामे-जमा करने
हमारा इंतजार
सचमुच हम
सामना करेंगे
तेरे हर वार का
हम संगठित हो रहे हैं।