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"मेरे ख्वाब / असंगघोष" के अवतरणों में अंतर

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21:59, 14 अक्टूबर 2015 के समय का अवतरण

मैं
ख्वाब देखते
समय भी
अपने पाँव
जमीन पर
रखना चाहता हूँ
कहीं यह
उड़ते हुए
छू गए
बिजली के तारों से
तो
ना चाहते हुए भी
उलझ ही जाएँगे
ख्वाबों में...।