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"सपनों पर नाखून / मोहिनी सिंह" के अवतरणों में अंतर

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00:40, 26 नवम्बर 2015 के समय का अवतरण

मेरे सपनों का गुब्बारा
जिसपर लिखा था 'मन'
तुमने ही फुलाया था ना
खामोशियों की हवा भरके?
तुम्हारे होंठों ने ही दी थी ना
इसे उड़ाने उम्मीदों की?
फिर क्यों दिया इसे सच के हाथों में?
सपनों के नाखून बहुत बड़े होते हैं।