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"पागल होती लडकियाँ / मोहिनी सिंह" के अवतरणों में अंतर
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वह लड़की जो हर बात पे हँस देती थी
एक दिन वो खुद से मिली और पहचान नहीं पाई।
और वह लड़की जो किसी के सामने रो नहीं सकती थी
एक दिन एक रुमाल खो जाने पे घंटो रोई।
एक और लड़की थी जो
प्रेम पर बहुत अच्छी कविताएँ करती थी
किसी को नहीं पता था
वो खयालो में हर रोज़ फांसी लगा लेती थी
और इसी तरह पागल होती रहीं हैं लड़कियाँ
समझदारी ने जब जब घूँघट उठाके देखा है उन्हें ।