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"अतिकौ पिवइया सुलफा गाँजे कौ / ब्रजभाषा" के अवतरणों में अंतर

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

रे लँगुरिया अति कौ पिवइया सुलफा गाँजे कौ,
जाकी खोल दऊँगी मैं पोल॥ लँगुरिया.
मेरौ झूमर बेच सुलफा ले आयौ.
और हरवा कौ करि आयौ मोल॥ लँगुरिया.
मेरे हरवा कूँ बेच सुलफाा ले आयो,
और पेन्डल कौ करि आयौ मोल॥ लाँगुरिया.
(इसी तरह जेवरों के नाम लेते जाते हैं)
जाने सभी कुछ बेचौ सुलफा गाँजे कूं
और मोसे है बोलत बोल॥ लँगुरिया.