भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"इत्मीनान है मुझे / रंजना जायसवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना जायसवाल |अनुवादक= |संग्रह=ज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

00:27, 8 दिसम्बर 2015 के समय का अवतरण

बड़ी नहीं हुई उम्र के साथ
अच्छा है
बचपन है मेरे साथ
नज़र दर्पण
दिखता है जिसमें
सबका असली चेहरा
घृणा नहीं करती किसी से।
लिया नहीं किसी से कुछ
दुःख के सिवा
दिया-हाँ दिया है
सुख...
किया, हाँ किया है
प्रेम
सच है
खूब ठगी गयी
इत्मीनान है
ठगा नहीं किसी को।