भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"भीगी आँखें / निदा नवाज़" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निदा नवाज़ |अनुवादक= |संग्रह=अक्ष...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

12:43, 12 फ़रवरी 2016 के समय का अवतरण

शाम हुई और तारे
आकाश की टहनियों से
तड़प-तड़प कर गिरने लगे
मैंने अपने गगन के
चाँद को देखा
उसकी आँखें भीगी थीं।