भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बस रोॅ महिमा भारी / अमरेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमरेन्द्र |अनुवादक= |संग्रह=कुइया...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

03:16, 8 जून 2016 के समय का अवतरण

बस रोॅ महिमा भारी।
की मैक्सी, की टैक्सी, ट्रेकर-देखलाँ यहाँ विचारी
सब टा एक एकैसे भैया, सब टा अपरमपारी।
कन्डक्टर भूसोॅ रँ ठूँसै सबटा खड़ा सवारी।
कुछ बोलोॅ तेॅ बोलथौं-बोलोॅ आपनोॅ मूँ सम्हारी।
एक टैक्सी दूसरा केॅ दै कहियो नाँय लगारी।
चलतें-चलतें कहियो देतौं यै मुड़गुनियाँ पारी।
कखनू जाय सुततोॅ खेतोॅ मेँ आपनोॅ टाँग पसारी।
हड़बड़ाय केॅ गिरवेॅ गदगद-लदलद देतें गारी।
अमरेन्दर रँ पैदल भागोॅ की पकड़ै छोॅ लॉरी।