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"बुख़ार / शरद कोकास" के अवतरणों में अंतर

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00:11, 1 जुलाई 2016 के समय का अवतरण

एक

बवंडर भीतर ही भीतर
घुमड़ता हुआ
लेता हुआ रोटी की जगह
पानी की स्थानापन्न करता
रगों में खू़न नहीं ज्यों पानी
शरीर से उड़ता हुआ।

दो

बुख़ार
आग का दरिया
पैर की छिंगुली से लेकर
माथे तक उफनकर बहता हुआ

छूटती कँपकँपी सी
बदल जाता चीज़ों का स्वाद
साँसों का तापमान
जीभ खु़श्क हो जाती
उतर जाता बुख़ार
माथे पर तुम्हारा हाथ पड़ते ही।

तीन

अच्छा लगता है
गिरती हुई बर्फ में खड़े
पेड़ की तरह काँपना
जड़ों से आग लेना
शीत का मुकाबला करना

अच्छा लगता है
ठिठुरते हुए मुसाफिर का
गर्म पानी के चश्में की खोज में
यात्रा जारी रखना।