भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"चल बे घोड़े / श्रीनाथ सिंह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्रीनाथ सिंह |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
02:59, 4 जुलाई 2016 के समय का अवतरण
चल बे घोड़े सरपट चाल
दो दिन में पहुंचे बंगाल
कलकत्ते की काली देखें
हुगली नदी निराली देखें
चलें वहां से फिर आसाम।
करें पहाड़ों पर आराम।
ऐड़ लगावें पहुचें दिल्ली,
गड़ी जहाँ लोहे की किल्ली।
चलें वहां से फिर पंजाब
लांघें झेलम और चनाब।
ऐड़ लगावें मथुरा आवें
हरिद्वार काशी को जावें।
चल बे घोड़े सरपट चाल
दो दिन में पहुंचें बंगाल।