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"पूस आया / चिन्तामणि जोशी" के अवतरणों में अंतर

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13:00, 5 जुलाई 2016 के समय का अवतरण

सुन बे
सपनों के सौदागर

रात के अंतिम पहर
मढैया की दीवारों पर सनसनाती
तीखी हवा की थपक से
वह उठ गई है अचकचा कर

उधड़ी छत पर तनी चादर
टाट वाली झटक डाली
फैला रही है
पेट में घुटने घुसेड़े
तीनों के तन पर

पलायित है कंत
लाने को वसंत
प्राण की लेने परीक्षा
इस बरस भी पूस आया
सबसे पहले
उसी के घर।