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"नाम महातम / शब्द प्रकाश / धरनीदास" के अवतरणों में अंतर

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निर्मल नाम निरंजन को, अभि अन्तर ध्यान सदा धरु रे।
मिलनी गनिका गज गिद्ध तरे, मृगराज अजामिल व्याधहुरे॥
सावज-कारण श्वान भरै, तिमि तून भरो जग-धन्धहुँ रे।
धरनी धरु संगति साधुनकी, जपु माधव 2 माधव रे॥3॥