भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"उपजेगी द्विजाति में रावण से / वचनेश" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
}}
 
}}
 
[[Category:छंद]]
 
[[Category:छंद]]
 
+
<poem>
 
उपजेगी द्विजाति में रावण से मदनान्ध अघी नर-नारि-रखा।
 
उपजेगी द्विजाति में रावण से मदनान्ध अघी नर-नारि-रखा।
 
 
रिपु होंगे सभी निज भाइयों के धन धान्यहिं छीने के आप-चखा।
 
रिपु होंगे सभी निज भाइयों के धन धान्यहिं छीने के आप-चखा।
 
 
यदि पास तलाक हुई तो सुनो हमने 'वचनेश` भविष्य लखा।
 
यदि पास तलाक हुई तो सुनो हमने 'वचनेश` भविष्य लखा।
 
 
फिर होंगी नहीं यहाँ सीता सती मड़रायेंगी देश में सूपनखा।।
 
फिर होंगी नहीं यहाँ सीता सती मड़रायेंगी देश में सूपनखा।।
 
 
-(परिहास, पृ०-२८)वचनेश
 
-(परिहास, पृ०-२८)वचनेश
 +
</poem>

10:17, 21 जुलाई 2016 के समय का अवतरण

 
उपजेगी द्विजाति में रावण से मदनान्ध अघी नर-नारि-रखा।
रिपु होंगे सभी निज भाइयों के धन धान्यहिं छीने के आप-चखा।
यदि पास तलाक हुई तो सुनो हमने 'वचनेश` भविष्य लखा।
फिर होंगी नहीं यहाँ सीता सती मड़रायेंगी देश में सूपनखा।।
-(परिहास, पृ०-२८)वचनेश